Dharmik

Dadi Nani Kahaniya | दादी नानी कहानिया

परिश्रम ही धन है
सियार की बुद्धिमानी
हिसाब बराबर
तपस्विनी बिल्ली
चालाक गधा
मक्खीचूस गीदड़
बुद्धि का फल
मृत्यु एक सत्य हैं
अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
मोर और कौआ
अंधा घोड़ा
प्रसन्न रहने की कला
विजेता मेंढक
आदमी एक रूप तीन
लोभ का फंदा
धूर्त भेड़िया
चार मूर्ख
दोस्ती
कर भला तो हो भला
इन्सान की सोच ही जीवन का आधार हैं
चालाक महिला
नकल में भी अकल चाहिए
सबसे बड़ा दाता
आलसी मत बनें
ज्ञानी पुरुष और निंदा
घमंडी का सिर नीचा
कीमती पत्थर
ईमानदारी का फल
उबलते पानी और मेंढक
चालाकी का फल