अलीगढ़ के मारूफ़ शायर शमीम बस्तवी साहब रमज़ान के महीने में बाज़ार से लौट रहे थे।हाथ में एक थैली थी जिसमें कोई सामान था।
रास्ते में एक पहचान वाले मिल गए।
पूछा:मौलाना…! क्या ले कर जा रहे हो?
उन्होंने कहा: ऐसी चीज़ जिसके खाने से रोज़ा नहीं टूटता..”
उन साहब ने कहा: ऐसी चीज़ों का इल्म मौलाना लोग अपने पास छुपा कर रखते हैं और हमें बताया जाता है कि कुछ भी खाओ, रोज़ा टूट जाएगा।
ये तो नाइंसाफी है। हमें भी खिलाएं।
ज़िद पर अड़े दोस्त को उन्होंने समझाया कि रहने दो। मत खाओ। पर वे माने नहीं।
शमीम साहब ने थैली खोली ….
…
…
तो उसमें जूता था।
दोस्त से पूछा – खायेंगे क्या !!