रामायण के अनुसार सदियों पहले श्री राम ने सीता स्वयंबर के दौरान शिव जी का धनुष तोडा था, जो जनक राज के पास था.
एक सरकारी स्कूल का इंस्पेक्शन करने शिक्षा अधिकारी आये हुए थे .
एक क्लास में आए और बच्चो से पूछा – “बच्चो ये बताओ की शिव जी का धनुष किसने तोडा ?”
सभी बच्चे बगली झाकने लगे. शिक्षा अधिकारी को बड़ा आश्चर्य हुआ . आठवी क्लास के छात्र और इतना आसान सा जवाब नहीं दे सकते .
“तुम बताओ !” – एक बच्चे से बोला .
डरते डरते वो खड़ा हुआ – “सर जी ! वो क्या हैं ना … मैंने नहीं तोडा … कसम से मैंने तो शिव जी का धनुष देखा भी नहीं है …”
शिक्षा अधिकारी बिलबिला कर एक और लड़के को खड़ा किया वो बोला – “सर मैंने भी नहीं तोडा .. आप क्लास मॉनिटर मोहन से पूछ ले … मैं तो बीमार था कई दिनों से …”
क्लास मॉनिटर मोहन डरते डरते खड़ा हुआ और बोला – “सर ! वो क्या हैं ना .. इस क्लास में सबसे बदमाश भूरे लाल है … मुझे पक्का यकीन हैं की भूरे लाल ने ही शिव का धनुष तोडा होगा ..आज वो स्कूल आया भी नहीं इस लिए ”
शिक्षा अधिकारी गुस्से से मास्टर साहब से बोले – “क्या मास्टर साहब ! कोई बता नहीं पा रहा है की शिव जी का धनुष किसने तोडा? “
मास्टर साहब डरते हुए बोले – “सर जी ! जाने दे अभी नादान बच्चे है ! मुझे भी लगता है शिव का धनुष भूरे लाल ने ही तोडा होगा . वो बहुत शैतान हैं !”
शिक्षा अधिकारी गुस्से से वहा से निकले और सीधे पहुच गए प्रिंसिपल साहब के ऑफिस में .
“प्रिंसिपल साहब ! क्या चल रहा हैं ? बच्चो से पूछा की शिव जी का धनुष किसने तोडा – तो वो कहते हैं की भूरे लाल ने तोडा – और तो और मास्टर साहब को भी नहीं पता और वो कहते हैं जाने दीजिये भूरे लाल ने ही तोडा होगा !!”
प्रिंसिपल साहब – “अरे सरजी जाने दे ! अभी बच्चे है – माफ़ करदे !! मुझे बताये की कितने रूपये का धनुष था , मैं नुक्सान की भरपाई कर देता हूँ .”
शिक्षा अधिकारी बेहोश हो गए !