यदि आपके पास पति है, तो कोई बात नहीं। न हो तो अच्छे, उत्तम कोटि के, तेज-तर्रार पति का चुनाव करें। क्योंकि जितना बढ़िया पति होगा, मुरब्बा भी उतना ही बढ़िया बनेगा। दागी पति कभी भी प्रयोग में न लाएँ। आवश्यकता से अधिक पके का चुनाव करने से भी मुरब्बा जल्दी खराब हो सकता है। नए ताजे पति का मुरब्बा डाल देने ठीक होता है। नहीं तो मौसम बदलते ही, अन्य सुन्दरियों के सम्पर्क में आने से उसके खराब होने की सम्भावना है।
अभी से मुरब्बा डालकर रखेंगी, तो जीवन भर उंगलियाँ चाटकर, चटखारे लेकर उसका आनन्द उठा सकेंगी। आपके घर की शोभा बढ़ेगी। भविष्य में आर्थिक दृष्टि से लाभ होगा। मुरब्बा डला पति मर्तबान के दायरे में ही रहता है। ट्रान्सपोर्टेशन में भी आसानी होती है। किसी भी मौसम में उसका उपयोग कर सकती हैं। पड़ोसियों और सहेलियों को जला सकती हैं।
आवश्यक सामग्री : प्रेम की चीनी, पति के बराबर तोल के मुस्कान की दालचीनी, हँसी की इलायची, जीवन के रंग, आवश्यकतानुसार नैनों की छुरी, एक मर्तबान।
विधि : पति को धो-पोंछकर साफ करें। मन के ऊपर लगी धूल अच्छी तरह रगड़कर दिल के कपड़े से पोंछ दें। पति चमकने लगेंगे। फिर प्रेम की तीन-तार चाशनी बनाएँ। इसमें पति को पूरा-का-पूरा डुबो दें। कम से कम हफ़्ते भर तक डुबोकर रखें। गरम सांसों की हल्की आंच पर पकने दें। सास-ननदों को पास न आने दें। पड़ोसिनों (विशेष कर जवान) के इनफ़ेक्शन से बचाकर रखें। इनके संपर्क में आने से खराब होने का भय रहता है। पति पूरी तरह प्रेम की चाशनी में सराबोर हो गए हैं, इसकी गारंटी कर लें। मुस्कान की दालचीनी, हँसी की इलायची, जीवन के रंग मिलाकर अच्छी तरह हिला लें।
लीजिए, आपके पति का मुरब्बा तैयार है। जब जी में आए इसके मधुर स्वाद का आनन्द लीजिए।
सावधानियाँ : बीच-बीच में नाराजगी की धूप गर्मी दिखाना जरूरी है, नहीं तो फफूंदी लग सकती है। पड़ोसिनों और सहेलियों की नज़रों से दूर रखें। यदा-कदा चल कर देखती रहें। अधिक चीनी हो गयी हो तो झिड़कियों के पानी का छिड़काव करें। कभी-कभी ज्यादा मिठास से भी मुरब्बा खराब हो जाता है। चीटिंयाँ लग सकती हैं।
विशेष सावधानियां :-
खाई-खेली औरतों से बचाकर रखें।
मर्तबान तभी खोलें जब मुरब्बा खाना हो