एक बहुमंजिला ईमारत का निर्माण हो रहा था . उसमे एक बंगाली, एक मद्रासी और पंजाबी काम करते थे . रोज़ वो टिफिन खाने सबसे उपरी मंजिल पर जाते . एक दिन वो टिफिन खाने उपरी मंजिल पर गए .
बंगाली ने टिफिन खोला और चिल्लाया – फिर से मच्छी भात !! अगर एक दिन और मुझे टिफिन में मच्छी भात मिला तो यहाँ से कूद कर जान दे दूंगा !!!
मद्रासी ने टिफिन खोला और चिल्लाया – फिर से इडली सांभर !! अगर एक दिन और मुझे टिफिन में इडली सांभर मिला तो यहाँ से कूद कर जान दे दूंगा !!!
पंजाबी ने टिफिन खोला और चिल्लाया – फिर से मक्के की रोटी और साग !! अगर एक दिन और मुझे टिफिन में मक्के की रोटी और साग मिला तो यहाँ से कूद कर जान दे दूंगा !!!
उसके दुसरे दिन –
बंगाली ने टिफिन खोला और देखा की टिफिन में मच्छी भात हैं , और कूद गया!
मद्रासी ने टिफिन खोला और देखा की टिफिन में इडली सांभर हैं , और कूद गया !
पंजाबी ने टिफिन खोला और देखा की टिफिन में मक्के की रोटी और साग हैं , और कूद गया !
तीनो की मौत में शोकसभा रखी गयी .
उनकी बीवियों का रो रो के बुरा हाल था .
बंगाली के पत्नी ने कहा – मुझे पता होता की उन्हें मच्छी भात नहीं खाना तो मैं उनको कुछ और बना कर देती !
मद्रासी के पत्नी ने कहा – मुझे पता होता की उन्हें इडली सांभर नहीं खाना तो मैं उनको डोसा रसम बना कर देती !
सब पंजाबी की पत्नी को देखने लगे की वो क्या कहती हैं !!
पंजाबी की पत्नी – मुझे क्या देख रहे हो !! ये उल्लू तो अपना टिफिन खुद ही बनता था !!